नीरज ग्रोवर मर्डर केस: बॉलीवुड की सबसे सनसनीखेज क्राइम स्टोरी | Real Murder Mystery in Hindi

PRAMPRAKASH PANDIT
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"2008 की एक रात ने बॉलीवुड और देश को दहला दिया। नीरज ग्रोवर की हत्या, प्यार और जलन का ऐसा तूफ़ान था, जिसे आज भी True Crime में सबसे रहस्यमयी केस माना जाता है। इस पोस्ट में हम आपको दिखाएंगे वो सच्चाई, जो पर्दे के पीछे छुपी थी।"

"सपने, प्यार, और जलन। ये तीन चीज़ें इंसान को कहाँ ले जा सकती हैं? ये आप सोच भी नहीं सकते। मुंबई, 2008। एक शहर जो रातों को जगता है, लेकिन एक रात, इस शहर ने एक ऐसी कहानी देखी, जिसने सबकी नींद उड़ा दी। एक जवान टीवी प्रोड्यूसर, एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस, और एक गुस्से से भरा प्रेमी। ये कहानी है नीरज ग्रोवर की। जो बाहर से तो सब ठीक ठाक लगती है, लेकिन अंदर से खून और विश्वासघात से भरी है। तो, तैयार हो जाओ, इस सनसनीखेज कहानी में गोता लगाने के लिए और जानते हैं कि आखिर उस रात नीरज के साथ हुआ क्या था।

" मुंबई 2008 । एक ऐसा शहर, जहाँ हर कोई स्टार बनने का सपना लेकर आता है। 25 साल का नीरज ग्रोवर भी उनमें से एक था। हँसमुख, और टैलेंटेड। नीरज को इंडस्ट्री में सब पसंद करते थे। वो एक ऐसा शख्स था, जो दोस्ती और काम में जान डाल देता था। लेकिन इस कहानी में एक और किरदार था—मारिया सुसैराज। जो 28 साल की और बहुत खूबसूरत महिला थी, वह कन्नड़ फिल्मों में बहुत स्ट्रगल करती है। साल 2002 में कन्नड़ सिनेमा में मारिया को बड़ा ब्रेक मिला। उन्हें बतौर लीड फिल्म जूट में काम मिला। फिल्म के लिए उन्हें सराहना तो मिली, लेकिन फिल्म फ्लॉप रही। इसके बाद मारिया ने छोटे मोटे भूमिका बहुत निभाई, लेकिन वह पूरे भारत में पहचान बनाना चाहती थी। वह अक्सर ऑडिशन देने मुंबई जाया करती थी। ऐसे ही एक दिन ऑडिशन के सिलसिले में मारिया की मुलाकात नीरज ग्रोवर से हुई। नीरज को मुंबई में बहुत अच्छी पकड़ थी।

साल 2008 में वो एकता कपूर के पॉपुलर प्रोडक्शन हाउस बालाजी टेलीफिल्म्स से जुड़कर काम कर रहे थे।ऑडिशन के दौरान हुई मुलाकात के बाद नीरज और मारिया ने नंबर एक्सचेंज किए और फिर दोनों की बात होने लगी। नीरज ने मारिया से कहा कि वो बेहद खूबसूरत हैं और उन्हें काम ढूंढने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जवाब में मारिया ने कहा कि उनकी मुंबई में कोई पहचान नहीं है, जिससे उन्हें काम नहीं मिल रहा है।
 नीरज ने मारिया को इंडस्ट्री में कॉन्टैक्ट्स दिलाने में मदद करता है।
समय के साथ नीरज और मारिया की नजदीकिया बढ़ने लगी। लेकिन वह पहले से ही मैसूर के रहनेवाले जेरोम मैथ्यू के साथ लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में थीं, जेरोम इंडियन आर्मी में थे और उस समय पुणे में पोस्टेड थे। लेकिन यह बात नीरज को बताई ही नहीं। 
एक दिन मारिया मुंबई में शिफ्ट होने का फैसला करती है चुकी वह मुंबई में नई थी तो नीरज ने अपने ही घर में जगह दी।
नीरज के घर में रहते हुए मारिया की उनके दोस्तों से भी अच्छी दोस्ती हो गई थी। 
  मारिया को जब भी जेरोम का कॉल आता तो नीरज का जिक्र जरूर होता जिससे जेरोम अंदर ही अंदर गुस्सा होता।
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करीब एक हफ्ते तक नीरज के साथ लिव-इन में रहने के बाद मारिया ने मलाड में एक फ्लैट किराए पर लेती है। वह नीरज का फ्लैट छोड़कर अपने फ्लैट में शिफ्ट होने का फैसला करती है, अपनी मदद के लिए नीरज को भी बुलाती है वह अपने दोस्तों से कहा कि मैं मारिया की शिफ्टिंग में मदद करवाने जा रहे हैं। ये बोलकर करीब 10 बजे वो घर से निकल गए।

  यही सबसे बड़ी गलती हो गई, अगर वह नहीं जाता तो आज हमारे बीच जिंदा होता। 
     खैर जब सुबह तक नीरज नहीं पहुंचा तो दोस्तो ने कॉल करना शुरू कर दिया कॉल मारिया रिसीव करती है और बताती है कि वह रात डेढ़ बजे ही निकल गया और अपना मोबाइल यही छोर गया। लेकिन जब कई दिनों तक नीरज घर नहीं लौटे, तो दोस्तों ने मारिया के घर जाकर पूछताछ की। जब उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं मिला, तो नीरज के दोस्तों ने मलाड पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।

पुलिस अपना काम शुरू कर दिया 8 मई का जब कॉल रिकॉर्ड्स खंगाला तो पता चला कि नीरज के फोन पर एक कॉल आया था जो कुछ समय के लिए रिसीव भी हुआ था। 
पहला सक मारिया पर गया क्योंकि फोन उसी के पास था।

पुलिस ने डायरेक्ट मारिया की जांच शुरू कर दी और जो रिपोर्ट्स सामने आया वह बहुत चौंकाने वाला था,8 से 20 मई के बीच मारिया और जेरोम मैथ्यू के बीच लगभग 1000 कॉल्स हुए थे। यह सामान्य नहीं था पुलिस का शक तब और पक्का हो गया जब जेरोम से पूछताछ में गलत बयान दिया।
 वह बताता है कि हम आर्मी ट्रेनिंग के लिए मुंबई आए थे, मगर जब आर्मी सेंटर से पुष्टि की गई तो सामने आया कि वो झूठ बोल रहे थे।

पुलिस ने सिक्योरिटी गार्ड से पूछताछ करते है तो वह बताते है कि मारिया और जेरोम को कुछ भारी समान ले जाते देखा है, यही से पुलिस को पूरा यकीन हो गया, और वह मारिया को अरेस्ट कर लेते है।
मारिया अपना बयान बार बार चेंज कर देती लेकिन जब सख्ती से पूछा तो वह टूट गई और सब सच्चाई उगल दी।

वह बताती है कि 7 मई को जब नीरज उसकी मदद के लिए आता है तो बहुत खुश थे और अच्छे टाइम बिताते है। फिर मारिया को जेरोम का कॉल आया कॉल पर नीरज की आवाज सुन कर भड़क गया मारिया ने उसे समझने की कोशिश की कि नीरज सिर्फ उसका दोस्त है और मदद के लिए आया है
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8 मई को जेरोम बिना बताए मुंबई पहुंच गया। वह सीधे मारिया के फ्लैट पर जाता है और दरवाजा खटखटाता है, मारिया ने दरवाजा देर से खोली और जेरोम सीधे बेडरूम में पहुंचा वहां नीरज को देखकर उन्होंने मारपीट शुरू कर दी। मारिया ने रोकने की कोशिश की लेकिन जेरोम किचन से चाकू लाकर नीरज पर हमला कर दिया। जिससे नीरज की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद मारिया और जेरोम ने सबूत मिटाने की कोशिश शुरू की। चादरें, पर्दे रूम सब को साफ किए। 

चौंकाने वाली बात ये है कि दोनों ने नीरज के डेडबॉडी के सामने ही संबंध बनाया था
इसके बाद दोनों एक मॉल गए और वहां से धारदार चाकू व पॉलीबैग खरीदे और दोनों ने मिलकर नीरज की डेडबॉडी के 300 टुकड़े कर बैग में भर दिया। हालांकि डार्क स्टोरी चैनल इसकी पुष्टि नहीं करता, वह शाम 4 बजे अमगांव की ओर रवाना हो गए। रास्ते में पेट्रोल खरीदा और एक सुनसान जगह पर बैग में आग लगा कर जाने लगा। लेकिन कहते है न कोई भी क्राइम परफेक्ट नहीं होता। 
   रास्ते में नीरज का फोन बजाता है। वह फोन मारिया की जींस में था और गलती से रिसीव हो गया। इसी कॉल से पुलिस को सुराग मिला और हत्याकांड का खुलासा हुआ।

"2011 में कोर्ट का फैसला आया। जेरोम को मर्डर के लिए 10 साल की सजा और मारिया को सबूत नष्ट करने और क्राइम में मदद करने के कारण 3 साल की सजा मिली। चुकी मारिया पहले ही 3 साल जेल में बीता चुकी थीं, तो उन्हें तुरंत रिहा कर दिया गया। लेकिन ये फैसला सुनकर लोग हैरान रह गए। नीरज के परिवार ने इसे इंसाफ नहीं माना। पब्लिक गुस्से में थी। न्यूज चैनल्स पर डिबेट्स हुए। सोशल मीडिया पर लोग कोर्ट के फैसले को कोस रहे थे। लेकिन इस केस ने एक बड़ा सवाल छोड़ा: क्या इंसाफ सिर्फ सजा देना है, या कुछ और? 

"नीरज ग्रोवर मर्डर केस सिर्फ एक क्राइम स्टोरी नहीं है। ये एक सबक है। जलन, गुस्सा, और शक—ये इमोशन्स हमें इंसान बनाते हैं, लेकिन अगर इन पर कंट्रोल न हो, तो वो हमें हैवान भी बना सकते हैं। इस केस ने हमें सिखाया कि रिश्तों में भरोसा और बातचीत कितनी ज़रूरी है। अगर मारिया और जेरोम ने अपने शक को बातचीत से सुलझाया होता, तो शायद नीरज आज ज़िंदा होता।तो दोस्तों, अगली बार जब गुस्सा आए, या शक हो, तो रुक जाओ। साँस लो और बात करो। क्योंकि एक पल का गुस्सा पूरी जिंदगी बदल सकती है। नीरज की स्टोरी हमें याद दिलाती है कि जिंदगी अनमोल है। इसे प्यार और समझदारी से जियो।

"तो, इस स्टोरी ने आपको क्या सिखाया? नीचे कमेंट में अपनी राय बताओ। अगर ऐसी सनसनीखेज और इमोशनल स्टोरीज और सुनना चाहते हो, तो मेरे इस वेबसाइट को फॉलो बॉटम दबाओ। मिलते हैं अगली क्राइम स्टोरी में। तब तक, सेफ रहो, 

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