"सुचना सेठ केस: गोवा की वह रात जब मां बनी कातिल | True Crime India"
"गोवा—जहां लोग छुट्टियां मनाने जाते हैं, और सपने सजाने जाते हैं। लेकिन जनवरी 2024 में, गोवा की एक रात ने एक मासूम बच्चे का सपना हमेशा के लिए तोड़ दिया। एक लग्जरी अपार्टमेंट में खून के धब्बे, एक खाली सिरप की बोतल, और एक मां, जो अपने बेटे का शव बैग में लेकर भाग रही थी। सुचना सेठ, एक सक्सेसफुल CEO, ने अपने चार साल के बेटे की जान क्यों ली? क्या था वो सच, जो उसे इस अंधेरे रास्ते पर ले गया? और कैसे वह पकड़ी गई? आओ, इस दिल दहला देने वाली कहानी को एक-एक कर समझते हैं।
सुचना सेठ, जिसकी उम्र 39 साल थी, बेंगलुरु की वो महिला, जिसे देखकर लोग वाह-वाह करते थे। उसकी जन्म कोलकाता में होती है और वह, बंगलुरू के जैन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करती है , और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में एक बड़ा नाम बनती है। साल 2020 के आसपास, सुचना ने माइंडफुल AI लैब नामक एक स्टार्टअप की स्थापना की और इसकी CEO बनीं। यह कंपनी AI-आधारित सॉल्यूशंस पर काम करती थी, खासकर बिजनेस एनालिटिक्स और ऑटोमेशन के क्षेत्र में।
सुचना सेठ की शादी साल 2010 में केरल के रहने वाले वेंकट रमन से हुई थी।सुचना और वेंकट की जोड़ी शुरू में ठीक थी, और शादी के बाद वे दोनों बेंगलुरु में सेटल हो गए। 2019 में, सुचना ने अपने बेटे को जन्म दिया, जो उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बना। हालांकि, शादी के कुछ साल बाद, पति-पत्नी में अनबन शुरू हो गई। 2020 में, उनका तलाक हो गया। तलाक का मुख्य कारण व्यक्तिगत मतभेद और पारिवारिक तनाव थे, जैसा कि पुलिस और कोर्ट रिकॉर्ड्स में सामने आया। तलाक के बाद, बेटे की कस्टडी सुचना को मिली, लेकिन कोर्ट ने वेंकट को हर रविवार बेटे से मिलने की इजाजत दी,जो सुचना को बिल्कुल पसंद नहीं था।
सुचना की जिंदगी बाहर से परफेक्ट लगती थी—शानदार करियर, बड़ा घर, और एक चार साल का प्यारा बेटा। लेकिन अंदर ही अंदर, उसकी जिंदगी एक तूफान में फंसी थी। उनके पति वेंकट रमन के साथ तलाक का केस कोर्ट में चल रहा था। बेटे की कस्टडी की जंग ने सुचना को मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया था। वह दुनिया के सामने मुस्कुराती थी, लेकिन अकेले में उसका दिल चीख रहा था।
6 जनवरी 2024 को सुचना अपने बेटे के साथ गोवा पहुंची। जगह थी कैंडोलिम का ,सोल बनयान ग्रांडे, होटल एक शानदार सर्विस अपार्टमेंट। समंदर के किनारे, चमचमाती लाइट्स, और लग्जरी का माहौल। हर कोई यही सोचता कि मां-बेटा छुट्टियों का मजा लेने आए हैं। बच्चा शायद समंदर में खेल रहा होगा, रेत के किले बना रहा होगा। लेकिन सुचना के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। कोर्ट ने वेंकट रमन को उनके बेटे से हर रविवार को मिलने का हक दिया था, और यह बात सुचना को जहर की तरह चुभ रही थी। वह अपने बेटे को किसी के साथ, खासकर अपने पति के साथ, बांटने को तैयार नहीं थी। गोवा की वो रात छुट्टी नहीं, बल्कि एक खौफनाक साजिश की शुरुआत थी।
7 जनवरी 2024 की रात, जब गोवा की सड़कों पर टूरिस्ट्स की हंसी गूंज रही थी, सुचना के कमरे में सन्नाटा था। उसने अपने चार साल के बेटे को खांसी की सिरप की भारी खुराक दे दी। मासूम बच्चा, जो अपनी मां पर पूरा भरोसा करता था, धीरे-धीरे गहरी नींद में चला गया। फिर, सुचना ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसे सुनकर रूह कांप जाती है। उसने तकिए या किसी नरम चीज से बच्चे का गला दबा दिया। पोस्टमॉर्टम ने बाद में पुष्टि की कि बच्चे की मौत दम घुटने से हुई। हत्या के बाद, सुचना ने शव को एक बड़े ट्रैवल बैग में डाला। उसने कमरे को साफ करने की कोशिश की, खून के धब्बों को मिटाने की भी कोशिश की, लेकिन कुछ निशान छूट गए। वो निशान, जो उसके अपराध की गवाही देने वाले थे।
आखिर सुचना ने ऐसा क्यों किया? पुलिस की जांच, कोर्ट के दस्तावेज, और सुचना के नोट्स से जो तस्वीर उभरी, वो दिल दहलाने वाली थी। सुचना का अपने पति से तलाक का केस चल रहा था, और बेटे की कस्टडी की जंग ने उसे अंदर से तोड़ दिया था। एक नोट में उसने लिखा, "मैं अपने बेटे को किसी और को नहीं दूंगी। वह मेरा है, और सिर्फ मेरा।" सुचना को डर था कि अगर कोर्ट ने कस्टडी वेंकट को दे दी, तो वह अपने बेटे को हमेशा के लिए खो देगी। तलाक का दबाव, प्रोफेशनल जिम्मेदारियां, और अकेलापन—ये सब मिलकर सुचना को मानसिक रूप से अस्थिर कर रहे थे। कुछ मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि वह गहरे डिप्रेशन में थी। लेकिन सवाल यह है—क्या यह प्यार था, डर था, या पागलपन की हद? यह सवाल आज भी हवा में लटका है।
हत्या के बाद सुचना ने सोचा कि वह अपराध को छिपा लेगी। 8 जनवरी को , उसने अपने बेटे के शव को ट्रैवल बैग में डाला और बेंगलुरु के लिए होटल के स्टाफ से टैक्सी बुक कराई और रात को ही निकल गई।
गोआ से बेंगलुरु लगलभ 550 किलोमीटर दूरी है वो चाहती तो फ्लाइट पकड़कर जल्दी जा सकती थी, लेकिन वहां चेकिंग होता है जिससे वो पकड़ी जा सकती थी। इसी कारण वह टैक्सी से जाना बेहतर समझी।
बैग में अपने बच्चे का शव लेकर रातभर वह टैक्सी में बैठी रही। सोचो, उसका दिल कितना पत्थर हो गया होगा कि वह उस बैग को अपने पास रखकर चुपचाप बैठी रही। लेकिन सुचना से एक भयानक गलती हो गई।
जिससे तुरंत वह पकड़ी गई
देवाशीष मांझी जो अपार्टमेंट के स्टाफ थे वह सुबह कमरे की सफाई के लिए आता है तो वह वहां खून के धब्बे और एक खाली खांसी की सिरप की बोतल पड़ी देखता है। उसको शक हुआ—सुचना अकेले चली गई , जबकि वह बेटे के साथ आई थी। उन्होंने तुरंत अपने मैनेजर को बताया और उन्होंने कैंडोलिम पुलिस को खबर दे दी। यहीं से सुचना का खेल खत्म होने लगा
पुलिस ने फौरन टैक्सी ड्राइवर से संपर्क किया, जो सुचना को लेकर कर्नाटक की ओर जा रहा था। ड्राइवर को कहा गया कि वह सुचना से सवाल करे। तब टैक्सी ड्राइवर ने सूचना सेठ से पूछा कि उसका बेटा कहाँ है, तब सुचना ने झूठ बोला, कि "मेरा बेटा गोवा में मेरे दोस्त के पास है।" लेकिन उसका घबराया चेहरा और बेचैनी ड्राइवर को अजीब लगी। गोवा पुलिस ने कर्नाटक पुलिस के साथ मिलकर टैक्सी को चित्रदुर्ग में रोका। जब पुलिस ने बैग खोला, तो सबके होश उड़ गए। उसमें सुचना के मासूम बेटे का शव था, ठंडा और बेजान। 9 जनवरी 2024 को सुचना को गिरफ्तार कर लिया गया। यह खबर टीवी चैनलों, अखबारों, और सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। लोग हैरान थे आखिर एक मां ऐसा कैसे कर सकती है?
मई 2024 में गोवा पुलिस ने 642 पेज की चार्जशीट दायर की। जीसमें हत्या , सबूत नष्ट करने, और गोवा चिल्ड्रन एक्ट के तहत गंभीर आरोप थे। सुचना के पिता ने कोर्ट से उनकी मानसिक स्थिति की जांच की मांग की। मार्च 2024 में कोर्ट ने जांच की इजाजत दे दी, लेकिन जांच में यह साबित नहीं हुआ कि सुचना पूरी तरह मानसिक रूप से अस्थिर थी। नवंबर 2024 में गोवा चिल्ड्रन कोर्ट ने सुचना पर हत्या और बाल शोषण के आरोप तय किए। सुनवाई के दौरान सुचना के वकीलों ने उनकी मानसिक स्थिति और तलाक के दबाव को हाइलाइट करने की कोशिश की। अप्रैल 2025 में, गोवा की जेल में सुचना ने एक महिला कांस्टेबल पर हमला कर दिया। इसके लिए नया FIR दर्ज हुआ, जिसने केस को और जटिल बना दिया।
मई 2025 तक सुचना सेठ को कोई अंतिम सजा नहीं मिली है। केस गोवा की कोर्ट में चल रहा है। IPC 302 के तहत हत्या के लिए उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है। लेकिन सुचना के वकील मानसिक स्वास्थ्य और तलाक के दबाव का हवाला देकर सजा कम करने की कोशिश कर रहे हैं। अभी सुचना जेल में है, और अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार है। क्या उसे फांसी होगी? या उम्रकैद? या मानसिक स्थिति के आधार पर कुछ और? यह सवाल अभी अनसुलझा है।
इस केस ने पूरे देश में हलचल मचा दी। लोग हैरान थे—एक पढ़ी-लिखी, सफल CEO ऐसा क्यों करेगी? क्या तलाक और कस्टडी की जंग इतनी खतरनाक हो सकती है? क्या सुचना को समय पर मानसिक मदद मिलती, तो यह त्रासदी टल सकती थी? इस घटना ने कई सवाल उठाए। माता-पिता के बीच बच्चों की कस्टडी की लड़ाई में बच्चों का क्या होता है? क्या हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की जरूरत है? यह केस सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि टूटे रिश्ते और अनदेखा दर्द कितना खतरनाक हो सकता है।
सुचना सेठ की कहानी एक ऐसी मां की है, जिसका प्यार, डर, और दर्द एक खौफनाक अपराध में बदल गया। उसका बेटा, जो शायद समंदर के किनारे रेत के किले बनाना चाहता था, अब सिर्फ एक दुखद याद है। सुचना का भविष्य कोर्ट के हाथ में है, लेकिन उसकी कहानी हमें सिखाती है कि इंसान का दिमाग कितना नाजुक हो सकता है। एक गलत कदम, एक पल का गुस्सा, और सब कुछ खत्म। यह कहानी खत्म नहीं हुई—न कोर्ट का फैसला आया, न ही सुचना के दिल का सच पूरी तरह खुला। लेकिन उस मासूम बच्चे की खामोशी हमेशा गूंजती रहेगी।
मिलते है एक नए कहानी के साथ तब तक के लिए धन्यवाद्
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